उल्हासनगर में शिवसेना के बैनर पर चल रहे विवाद के बीच, एक नया मोड़ तब आया जब चार नगरसेवकों के बैनर से बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे की छवियाँ और उनके अनुशासन के प्रतीक गायब पाए गए। इस घटना ने न केवल शिवसेना के अंदरूनी सदस्यों में, बल्कि समर्थकों में भी चिंता और बहस की लहर दौड़ा दी है।
बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे, शिवसेना के दो स्तंभ रहे हैं, जिनके नेतृत्व और दिशा-निर्देशों ने पार्टी को आकार दिया है। उनके आदर्शों और नीतियों को पार्टी के ढांचे में गहराई से उतारा गया है। इसलिए, उनकी अनुपस्थिति वाले बैनर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बता दे की शिवसेना सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे 17 अगस्त को उल्हासनगर शहर में आने वाले है डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भवन के उद्घाटन के लिये और उसी भवन के उद्घाटन का होल्डिंग सी ब्लॉक गुरुद्वारे के चौक पे लगा हुआ है जिस होडिंग को देख के सभी शिवसैनिकों में काफी रोष है वही ठाकरे सेना के लोग इस बैनर को सोशल मिडिया पे पोस्ट कर दिखा रहे है कि ये अगर असली शिवसैनिक है तो इनके बैनर पोस्टर से शिवसेना की स्थापना करने वाले और शिवसैनिकों के भगवान क्यों घूम है इस विवाद के बीच, शिवसेना के इस बैनर युद्ध ने उल्हासनगर की राजनीति में एक नई गर्मी ला दी है ।
शिवसेना के कुछ नेताओ का कहना है कि यह पार्टी के अनुशासन और परंपरा के प्रति एक गलत संदेश है।
बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे की विरासत को संजोए रखना और उनके मार्गदर्शन को आगे बढ़ाना शिवसेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
इस प्रकरण ने न केवल शिवसेना के भीतर, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी एक गहरी चर्चा को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर शिवसेना के नेतागण इस स्थिति का सामना कैसे करते है और अपने महान नेताओं की विरासत को कैसे बरकरार रखते है।
इस विषय मे सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे से बात करने की कोशिश की गई पर उनसे सपंर्क नही हो पाया
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